
आदित्य गुप्ता
अंबिकापुर। महामाया पारा निवासी 32 वर्षीय बंटी कश्यप की असमय मृत्यु पानी में डूबने से हो गई। घटना से शोकाकुल परिवार के सामने अंतिम संस्कार की व्यवस्था करना भी कठिन हो गया, क्योंकि परिवार आर्थिक रूप से अत्यंत ही विपन्न स्थिति में है।
परिजनों की इस विकट स्थिति की जानकारी मिलने पर सामाजिक संस्था ‘अनोखी सोच’ ने मानवीय पहल करते हुए अंतिम संस्कार का संपूर्ण दायित्व संभाला। संस्था के अध्यक्ष सूर्यप्रकाश साहू को बंटी की भाभी द्वारा सूचना दिए जाने पर संस्था ने तत्काल सक्रियता दिखाई और शंकरघाट मुक्तिधाम में पूरे विधि-विधान के साथ अंतिम संस्कार की व्यवस्था की गई।
संस्था के सदस्यों पंकज चौधरी, मोती ताम्रकार, राकेश शुक्ला, विजय बंसल, चंद्रप्रताप सिंह, भोला रक्सेल समेत अन्य कार्यकर्ताओं ने इस मानवीय कार्य में सहभागिता निभाई। आवश्यक सामग्री की व्यवस्था से लेकर शव यात्रा तक, संस्था ने पूरी संवेदनशीलता के साथ कार्य को अंजाम दिया।
परिवार की स्थिति को और भी दयनीय बनाता है यह तथ्य कि बंटी के पिता स्व. देवानंद कश्यप का भी दो माह पूर्व ही निधन हुआ था। अब घर की जिम्मेदारी 10 वर्षीय आदित्य पर आ पड़ी है, जिसने अपने दादा और पिता के बाद अब चाचा को भी मुखाग्नि दी। यह हृदय विदारक दृश्य उपस्थित लोगों की आंखें नम कर गया।
संस्था ने लिया बच्चे के भविष्य का जिम्मा
‘अनोखी सोच’ ने केवल अंतिम संस्कार तक ही अपनी भूमिका सीमित नहीं रखी। संस्था ने यह भी संकल्प लिया है कि आदित्य के शिक्षा व परवरिश की जिम्मेदारी वे उठाएंगे। आर्थिक सहायता, शैक्षणिक जरूरतें और सामाजिक सहयोग के माध्यम से संस्था इस परिवार को पुनः सामान्य जीवन की ओर ले जाने का प्रयास करेगी।
मानवता की मिसाल बना ‘अनोखी सोच’ का यह कदम
यह कार्य न केवल एक व्यक्ति या परिवार की सहायता का प्रतीक है, बल्कि समाज के लिए एक प्रेरणास्पद उदाहरण है कि यदि हम संवेदनशीलता और एकजुटता दिखाएं, तो बड़ी से बड़ी विपत्ति का सामना भी सामूहिक प्रयासों से किया जा सकता है।
स्थानीय नागरिकों ने संस्था के इस कार्य की भूरी-भूरी प्रशंसा की है और इसे समाज में सकारात्मक परिवर्तन की दिशा में एक मजबूत कदम माना है
यदि आप भी ऐसे सामाजिक कार्यों से जुड़ना चाहते हैं या मदद करना चाहते हैं, तो ‘अनोखी सोच’ संस्था से संपर्क करें।
